Thursday, August 17, 2006

१५ अगस्त को महादेव देसाई की पुण्य तिथी के अवसर पर पूरा हिन्दी में एक चिट्ठा शुरु किया- 'समाजवादी जनपरिषद उत्तर प्रदेश '.चूंकि यह नया है और अभी गूगल में सूचीबद्ध नहीं हुआ (उसका पता हांलाकि जमा कर दिया है)इसलिये उसकी प्रविष्टियां यहां फिर से छाप रहा हूं.गूगल से खोजने वालों को इससे पकड में आयेगा.
Thursday, August 17, 2006
दूसरा
होशंगाबाद के आदिवासी तवा बांध, आयुध कारखाना तथा इस कारखाने में बने गोलों की जांच-परीक्षण के लिये बने 'प्रूफ रेन्ज ' द्वारा गत ३० वर्षों में कई बार उजाडे गए.बांध के पानी में डूबे अपने ग़ांव,खेत और जंगल के ऊपर जब वे मछली पकडते तब उन्हें चोर कहा जाता.लम्बे संघर्ष के बाद उनकी सहकारी समितियों को मछली मारने का हक़ मिला.इससे सरकार को मिलने वाले मछली पर राजस्व की भी भारी बढोतरी हुई.हाल में घोषित अभयारण्यों और उसके लिये बने कानून के डंन्डे के बल पर फिर उनकी आजीविका छीनने की साजिश चल रही है.म.प्र. के मुख्यमंत्री और वन मन्त्री को संबोधित ज्ञापन पर आपके नैतिक समर्थन की मुहर लग सकती है,यहां --

http://www.PetitionOnline.com/tms2006/
हिन्दी में प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर अभियान चलाने के लिये ऐसी कोई जगह बनी है ? लोकतंत्र में बहुत जरूरी है ऐसी 'जगह ' का होना.अंग्रेजी वालों ने अब तक ७९ दस्तखत किये हैं.अब देखा जाए.



Posted by समाजवादी जनपरिषद - उत्‌तर प्रदेश at 2:54 AM 0 comments

Labels: मछली


दो प्रतिवेदन
बोलिविया की जनता द्वारा पानी का व्यवसाय करने वाली सबसे बडी फ्रान्सीसी कम्पनी सुएज को देश के बाहर करने की लडाई दुनिया भर के वैश्वीकरण विरोधियों के लिये मिसाल है.ऑस्कर ऑलिवेरा,जो एक जूता बनाने के कारखाने मशीनिस्ट हैं इस सन्घर्ष के नेता हैं.देश छोडने के लिये मजबूर होने के बाद सुएज़ ने हर्जाने का दावा किया.इस दावे के प्रति अपना विरोध आप भी दर्ज करा सकते हैं - थोडा-सा समय निकाल कर नीचे अन्कित स्थल पर :
http://www.democracyinaction.org/dia/organizationsORG/fwwatch/campaign.jsp?campaign_KEY=4677

Posted by समाजवादी जनपरिषद - उत्‌तर प्रदेश at 2:24 AM 0 comments

Labels: दो प्रतिवेदन


Wednesday, August 16, 2006
वाल मार्ट
सरकारी नीतियो के कारण बेरोजगारी है और ऐसे में माता पिता सोचते हैं कि थोडी सी पूंजी लगा कर दुकान खोल दी जाए .वाल मार्ट जैसे मगरमच्छ क्या करेंगे आपने बताया है.मुकेश अंबानी का दावा है कि वे भारतीय वाल मार्ट बनना चाहते हैं.सब्जी तक अम्बानी घर तक पहुंचाएंगे.वाम फ्रन्ट सरकार ने अम्बानी को न्योता दिया है. दुनिया के १० सबसे बडे पैसे वालों में ५ 'वॉल्टन' हैं.वॉल्टन वाल मार्ट का मालिक खानदान है.इनकी कुल दौलत ९० बीलियन डौलर है यानि बिल गेट्स और वॉरन बफेट की सम्मिलित दौलत से ज्यादा तथा सिंगापुर की राष्ट्रीय आय से ज्यादा.किसी आपूर्तिकर्ता का यदि ज्यादातर माल यदि आप ही खरीदते हैं तो सौदेबाजी से आपको माल सस्ता मिलेगा.वाल मार्ट यह ही करता है.साथ साथ मजदूरों को भी चूस कर रखता है.उन्हें स्वास्थ्य आदि कि सुविधा से मरहूम रख कर दाम सस्ता रख्ता है.सस्ता होगा यह भी भ्रम है-अरकन्सास के एक दैनिक ने ६ वाल मार्ट दुकानों की तुलना अन्य दुकानों से की तो पत चला कि १९ घरेलू सामानों में वाल मार्ट मे केवल दो सामान सबसे सस्ते थे.सभी सामानों का न्यूनतम $१२.९१ था तथा अधिकतम वाल मार्ट में $ १५.८६ था.वाल मार्ट में भेद भाव के भी अध्ययन हुए हैं.

Posted by समाजवादी जनपरिषद - उत्‌तर प्रदेश at 1:40 PM 6 comments



Tuesday, August 15, 2006
आगाज.
साधारणतया मौन अच्‍छा है,
किन्‍तु मनन के लिए .
जब शोर हो,
चारो ओर सत्‍य के हनन के लिए,
तब तुम्‍हे अपनी बात ज्‍वलन्‍त शब्‍दों में कहनी चाहिए.
सिर कटाना पडे या न पडे,
तैय्‍यारी तो उसकी रहनी चाहिए .
--भवानी प्रसाद मिश्र

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हिन्दी चिट्ठे का पता - समाजवादी जनपरिषद- उत्‍तर प्रदेश http://samatavadi.blogspot.com/
छात्र जीवन के साथी और हिन्दी के वरिष्ट चिट्ठेबाज अनूप शुक्ला के कारण व हिन्दी प्रेमियों की हौसला अफ्जाई के करण कई टिप्पणियां भी आ गयीं जो नीचे दे रहा हूं,मेरे जवाब सहित :

"वाल मार्ट"
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संजय बेंगाणी said...
मेरा नीजि मत हैं की यह भय कमप्युटरों के आगमन के समय जो बेरोजगारी बढ़ने का भय था वैसा ही हैं.
महत्त्व गुणवता तथा किमंत को मिलेगा.
अब देखिये मेरे घर के आसपास ही पाचँ मॉल हैं लेकिन सब को आजमाने के बाद सामान एक किराणे कि दुकान से खरिदने लग गये हैं क्योंकि वह सस्ता देता हैं.

6:39 PM, August 16, 2006


अनुनाद सिंह said...
समाजवादी जन परिषद जी, हिन्दी चिट्ठाकारी में आपका हार्दिक स्वागत है।

समाजवाद एक पुनीत धारणा है, किन्तु इसे साकार करने के व्यावहारिक, कारगर और दक्ष तरीके अभी तक नहीं खोजे जा सके हैं।

10:02 PM, August 16, 2006


समाजवादी जनपरिषद - उत्‌तर प्रदेश said...
बेरोजगारी तो बढ रही है,उसमें कम्प्यूटर का योगदान कितना है,उसका अध्ययन होना चाहिये.बैंक कर्मचारी बता सकेंगे कि कितने पद मौजूदा कार्यरत कर्मचरियों के अवकाश प्राप्ति के बाद नही भरे जाएंगे.उनके नेताओं ने मान लिया था कि मौजूदा लोगों को मत निकालिये,भविष्य में उनके पद समाप्त करने पर हम नही बोलेंगे .
जैसे पुरानी सोच का अन्धविश्वास था ,'गणेशजी दूध पी रहे हैं', वैसा नई सोच वालों का अंधविश्वास है,'कम्प्यूटर से सारी समस्याएं हल हो जायेंगी'. टी.वी. जब नया था तब कहा जाता था कि इससे ग्यान का प्रसार होगा,अपसन्स्कृति का नहीं. सूचना और ग्यान को पर्यायवाची मान लिया जाता है .
आप के पडोस का पर्चून वाला तो बकरी की मां की तरह कब तक खैर मनायेगा ? वैसे अम्ररीका के चार सबसे बडे शहरॉं में वाल मार्ट स्थानीय समुदायों के विरोध के कारण नही है.
टिप्पणी के लिये हार्दिक धन्यवाद.

11:01 PM, August 16, 2006


समाजवादी जनपरिषद - उत्‌तर प्रदेश said...
अनुनाद स्वागत के लिये आभार.
किसी भी अवधारणा को बिना दमदार कोशिशों के साकार नही किया ज सकता.
अवधारणा को साकार करने के व्यावहारिक, कारगर और दक्ष तरीके पानी में कूदे बिना इजाद हो जायेंगे ?
साजिशों को अन्जाम देने के लिये भी , व्यावहारिक, कारगर और दक्ष तरीके पूरी ताकत के साथ खोजे जाते हैं.दुर्भाग्यपूर्ण तो होता है इनमें शरीक होने के बावजूद खुद को भी पता न चल पाना कि मैं शरीक हूं.

11:34 PM, August 16, 2006


ई-छाया said...
समाजवादी जनपरिषद जी,
आपकी उम्र महज १४ साल है, हिंदी चिठ्ठों की दुनिया में आपका स्वागत है।

12:19 AM, August 17, 2006


समाजवादी जनपरिषद - उत्‌तर प्रदेश said...
स्वागत के लिये आभार.

जैसे ई-छाया की उम्र इन्टरनेट की उम्र से कम होनी चाहिये(नाम के हिसाब से),वैसे ही एक राजनैतिक दल की उम्र उसकी स्थापना तिथि से जोडी जायेगी.ठीक ?

1:06 AM, August 17, 2006

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