Tuesday, August 15, 2006

प्‍यारे भाई मेरे ,
आज के दिन १९४२ में महादेव भाई की पूना के आगा खाँ महल,जो तब जेल बना दी गई थी में मृत्‍यु हुयी थी।
आज ही मैंने अपने चिट्‍ठे पर पहली नोँध हिन्‍दी में छापी -बमुश्‍किल-तमाम । पढ़ना । गल्‍तियाँ सुधारने और कंटकाकीर्ण मार्ग कुछ सुगम बनाने में मदद देना । इस गोल की बहस में वरिष्‍ट - कनिष्‍ट का बहुत ख्‍याल दिखाई दिया इस लिए 'बडों' से आशीर्‍वाद मांग रहा हूं ।
सप्रेम,
तुम्‍हारा ,
अफ़लातून

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